Sunday, September 15, 2024
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टमाटर उगाने वाला और खाने वाला दोनों परेशान, बढ़ते दामों की क्या है वजह?

बीते तीन दिनों से टमाटर ऐसा सुर्ख हुआ है कि इसका असर सीधा आपके घर के बजट पर पड़ा है. आलू-प्याज और टमाटर रसोई की ऐसी तीन जरूरतें हैं जो न हों तो रसोई का स्वाद बिगड़ जाता है और इनके दाम बढ़ जाएं तो घर का बैंक बैंलेस. ये तीनों सब्जियां बारहमासी हैं. अगर आप पिछले तीन दिन में सब्जी लेने बाजार गए होंगे तो टमाटर के दाम सुनते ही आप चौंक गए होंगे. सोच रहे होंगे कि अभी तो ये ज्यादा से ज्यादा चालीस रुपये किलो रहा होगा, बहुत हुआ तो पचास का, लेकिन, 100-120 रुपये किलो कैसे हो गया.

क्यों हर साल देश में आती है टमाटर क्राइसिस

इस दाम के सुनने के बाद आपने अपनी जरूरतें कम कर ली होंगी, और आधा किलो या एक पाव टमाटर ही लेकर आए होंगे. अब सोचने वाली बात और कुछ सवाल… टमाटर इसी मौसम में लगभग हर साल अचानक क्यों इसी तेजी के साथ महंगा हो जाता है? टमाटर क्यों महंगा हो रहा है ? क्या बारिश की वजह से ? अगर हां तो, क्या हर साल बारिश में महंगा टमाटर खाने की आदत जनता डाले? क्या किसान को महंगे टमाटर का कोई फायदा होता है? अगर नहीं तो बीच का मुनाफा कौन खा रहा है ?

देश में अचानक आने वाली इस टमाटर क्राइसिस का समाधान क्या है ? क्या मिसमैनेजमेंट की वजह से टमाटर को हर साल महंगा करके बेचा जा रहा है ? टमाटर

अभी मई की ही बात है, जिस टमाटर को फेंकने की नौबत किसान के सामने थी, जिसके लिए पांच रुपए भी किसान नहीं पा रहा था. जून के अंत में वही टमाटर क्यों महंगाई के मारे लाल होकर 120 रुपए तक पहुंच गया है ? पिछले कुछ वक्त से क्या देश में हर साल गर्मी के सीजन में टमाटर फेंका जाता है. किसान के पास सिवाए टमाटर को खुद ही बर्बाद करने के चारा नहीं होता और फिर बारिश आते ही टमाटर की कीमत सेब के बराबर हो जाती है. ऐसा आखिर क्यों है?

भारत से बीते साल 89 हजार मीट्रिक टन टमाटर हुआ निर्यात

खाद्य तेल हो या ईंधन, जब भी महंगा होता है तो इसके पीछे की वजह आयात बताई जाती है. क्या टमाटर भी बाहर से आयात करना पड़ता है? क्या टमाटर भी देश को आयात करना होता है जो अभी 100 रुपये के पार चल रहा है ? दुनिया में चीन के बाद टमाटर की उपज सबसे ज्यादा भारत में होती है. भारत हर वर्ष करीब दो करोड़ टन टमाटर की फसल तैयार कर रहा है. आंकड़े बताते हैं कि भारत ने पिछले वर्ष 89 हजार मीट्रिक टन टमाटर का निर्यात भी किया है.
इससे ये बात तो साफ हो गई कि भारत के किसान टमाटर उगाने में कमजोर नहीं है.

लोगों से ताने सुन रहे छोटे सब्जी विक्रेता

अगर आप एक किलो टमाटर लेंगे तो इसमें 9 पीस टमाटर चढ़ेंगे. एक टमाटर की कीमत 11 रुपए की हो गई है. भोपाल के एक सब्जी विक्रेता से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा, सौ रुपए पार चल रहे टमाटर खरीदने आ रही जनता दाम सुनते ही भड़क जाती है. वह कहते हैं कि कई बार तो लोग गाली बक के जा रहे हैं. कहते हैं कि लूटने बैठा है. वहीं, एक ग्राहक ने कहा कि टमाटर लेने आए हैं, 120 का है, सोचा था एक किलो लेंगे. पाव भर लेकर जा रहे हैं
वहीं एक और शख्स ने भी कहा कि, चालीस-पचास में हिम्मत कर भी लें. अस्सी सौ में हिम्मत कैसे करें, अब पाव या आधा किलो ले जाते हैं. जयपुर में भी यही हाल है.

जनता का सवाल है कि अचानक 40-50 से 120 रुपए तक टमाटर पहुंचा है. लोगों को ये बताया गया कि मंडी में महंगे मिलने के कारण टमाटर के दाम बढे हैं.

कब बोकर कब तैयार होती है टमाटर की फसल?

भारत में अगर टमाटर की खेती और टमाटर उगाने वाले राज्यों के बारे में देखें तो भारत में सबसे ज्यादा टमाटर मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में उगाया जाता है. भारत में टमाटर की दो फसल मुख्य रूप से होती है. एक फसल अगस्त से सितंबर के बीच बोई जाती है. दूसरी फसल फरवरी से जुलाई के बीच तैयार की जाती है. फरवरी वाली फसल में अप्रैल तक फूल और जून-जुलाई में टमाटर तैयार होकर मिलता है. यानी अभी जो टमाटर बाजार में होना चाहिए वो फरवरी से जुलाई के बीच तैयार होकर बिकने वाली फसल है. यानी गर्मी से लेकर बारिश के बीच वाली फसल. अब इसका दाम अभी क्यों बढ़ा?

क्यों बढ़ा है टमाटर का दाम? क्या कहते हैं व्यापारी?

इस सवाल के जवाब के लिए कई राज्यों के दुकानदारों और व्यापारियों से बात की. दिल्ली के व्यापारी का कहना है कि टमाटर महंगा होने का कारण ये है कि हरियाणा, राजस्थान, यूपी एमपी की फसल खराब हो गई है. इस वक्त दिल्ली की मंडी हिमाचल के टमाटर पर डिपेंड है, वहां तीस फीसदी फसल की कमी हुई है. इसीलिए दाम में तेजी है.

वहीं, लखनऊ के दुकानदार का कहना है कि ये देसी टमाटर बेंगलुरू से आ रहा है. लोकल टमाटर सब सड़ गए हैं. इसलिए ही टमाटर महंगा हो गया है. उधर, जयपुर के दुकानदार ने कहा कि, राजस्थान का टमाटर का काफी नुकसान हुआ. तूफान आने से पेड़ गल गए. बेंगलुरु का टमाटर आ रहा है. भाड़ा लगता है इसलिए महंगा हो रहा है. आवक कम है.

अहमदाबाद के व्यापारी का कहना है कि, लोकल बंद है और बेंगलुरु से कम माल आ रहा है और जो भी आ रहा है वह नासिक से आ रहा है, तो कमी है. मांग ज्यादा है आवक कम हो गई है. इंदौर के व्यापारी ने कहा कि, लोकल टमाटर खत्म हो चुका है, महाराष्ट्र से ही आ रहा है, वहां से भी बीस फीसदी ही आ रहा है. चंडीगढ़ के व्यापारी ने कहा कि बारिश और गर्मी से दाम बढ़ रहे हैं. हाइवे ब्लॉक हो रहा है.

पटना के व्यापारी ने कहा कि, कुछ मौसम की मार से कुछ व्यापारी की कालाबाजारी है. वहीं कुछ माफिया हैं जो यूनियन बनाकर ट्रक लगा रहे और मनमानी से बेच रहे हैं. बीते तीन सालों में भी बारिश में टमाटर के दामों में बढ़ोतरी का ट्रेंड दिखा है. पिछले साल यानी 2022 के जून महीने में टमाटर के दाम 60-70 रुपए किलो तक पहुंच गए थे. इससे पहले 2021 में दाम 100 रुपए और 2020 में दाम 70-80 रुपए प्रति किलो के करीब पहुंच गए थे.

अब बड़ा सवाल ये कि, हम जो 100 रुपए के पार रुपये देकर टमाटर खरीद रहे हैं, क्या वो पैसा टमाटर उगाने वाले किसान तक पहुंच रहा है ?

राजस्थान के कोटा समेत कई हिस्सों में टमाटर की फसल होती है. लेकिन दावा है कि पहले तेज गर्मी और फिर बिपरजॉय तूफान और बारिश ने इनकी टमाटर की फसल बर्बाद कर दी. यानी किसान को न तो अप्रैल से मई के बीच टमाटर की फसल का उचित दाम मिला, जब टमाटर खूब बिकता रहा और ना ही अब जब टमाटर की फसल बारिश के बाद. टमाटर की महंगाई का फायदा कौन उठा रहा है ?

टमाटर के बढ़ते दाम को लेकर कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने बताया कि इसका मुनाफा न ही किसान को मिल रहा है और न ही कंज्यूमर को. दरअसल इसके पीछे रिटेल माफिया है और वो मौसम का बहाना बनाकर दामों को कंट्रोल करता है. किसान अभी वैसी ही हालत में है जैसे पहले था. उन्होंने कहा कि इस वक्त पूरी दुनिया में महंगाई, सिर्फ लालच की महंगाई है. सरकार को ट्रेड माफिया को कंट्रोल करना पड़ेगा. कंज्यूमर प्राइस का आधा किसान को मिले तो बात बने.

क्यों सड़कों पर फेंके जा रहे थे टमाटर

पिछले तीन हफ्ते पहले महाराष्ट्र में किसान टमाटर सड़कों पर फेंक रहे थे, उन्हें एक दो रुपए मिल रहा था. उसके तीन हफ्ते बाद 80-100 रुपए का दाम क्रॉस कर गया है. इसके दो कारण हैं.

1. लोकल डिस्टर्बेंस मौसम की वजह से
2. इतनी वैरिएशन- यूपी में 24-25 रुपये किसान पा रहा है. बेंगलुरु में किसान को 41 से 45 या 47 रुपए मिल रहे हैं. पंजाब में किसान को चालीस रुपए मिल रहे हैं. मार्केट में रिटेल में 60 रुपये से ज्यादा प्राइज है. लेकिन जो हॉकर घर के बाहर आते हैं, वो 80 और 100 करते हैं. रिटेल माफिया है. महंगाई जो हम सामना करते हैं इसलिए है क्योंकि हॉकर की रेंज नेटवर्क से बनी है और वह प्राइस फिक्स कर देता है.

टमाटरः खेती-किसानी से लेकर मंडी में बढ़े दामों तक कुछ फैक्ट्स
रिपोर्ट्स के मुताबिक टमाटर के हर साल बारिश में महंगा होने को लेकर जो बातें सामने आईं है उनके मुताबिक ये फैक्ट्स समझ लीजिए.

1- पहले तेज गर्मी और फिर बारिश ने टमाटर की फसल को नुकसान पहुंचाया है ये सच है.
2- लेकिन सच ये भी है कि टमाटर जनता भले महंगा खरीद रही है लेकिन इसका फायदा किसान से ज्यादा बड़े व्यापारी और बिचौलिए उठा रहे हैं.
3- टमाटर पिछले कई वर्ष से हर साल बारिश के मौसम में 100 रुपए किलो तक पहुंच रहा है.
4- टमाटर को हर साल इसी मौसम में महंगा होने से रोकने वाला कोई इंतजाम कहीं नहीं सोचा
गया है.
5- देश में सब्जी को प्रोसेस करके आगे के मौसम के लिए संभाल कर रखने वाला इंतजाम तक
अभी राज्यों में मजबूत नहीं है.
6- भारत में आज भी कृषि उत्पादों का सिर्फ दस फीसदी हिस्सा ही प्रोसेस करके सुरक्षित रखने
का इंतजाम देश में है.
7- 2020-21 की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में कुल होने वाले फल का सिर्फ 4.5 फीसदी और सब्जियों का केवल 2.70 फीसदी हिस्सा ही प्रोसेस करके
मुश्किल वक्त के लिए सुरक्षित रखने का इंतजाम देश में हो पाया है.

ये है टमाटर के बढ़ते दामों को रोकने का उपाय

इस अचानक आने वाली महंगाई से भी बचने का उपाय है. पहला उपाय, ये है कि किसानों को बारिश के मौसम से पहले ही फसल उगाने की तैयारी करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए, क्योंकि बारिश रोक नहीं सकते, इस मौसम में भारत के हर हिस्से में पानी बरसेगा ही.

दूसरी बात यह कि गर्मी में जब टमाटर सस्ता रहता है, ट्रांसपोर्टेशन सरल होता है, तब ही टमाटर को प्रोसेस करके प्यूरी बनाकर बोतल में रखने के काम पर हर जिले में जोर दिया जाए. बारिश से पहले ही टमाटर प्रोसेस करके रखा जाएगा तो किसान को उचित दाम भी मिलेगा, टमाटर बर्बाद नहीं होगा, बिचौलियों को आगे बारिश के वक्त मुनाफा लूटने की छूट नहीं मिल पाएगी.

इसके लिए सबसे जरूरी है कि पहले देश में कृषि के बुनियादी ढांचे को स्थानीय स्तर तक विकसित करने पर जोर दिया जाए, ताकि फल और सब्जियां ज्यादा से ज्यादा प्रोसेस करके रखी जा सकें. जिस दिन से ऐसा होने लगेगा न तो किसान को अप्रैल-मई में अपना टमाटर दो रुपये में बिकने पर फेंकने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. न ही शहरी जनता को जून, जुलाई में टमाटर सौ रुपए का मिलने पर महंगाई से परेशान होना पड़ेगा.

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