इस हार की कई कारणों में एक रहा भारत के सबसे अनुभवी स्पिन गेंदबाजों में से एक रवि अश्विन को प्लेइंग इलेवन से बाहर रखना. इस फ़ैसले पर कई पूर्व क्रिकेटर्स और खेल के प्रशंसक हैरान रह गए थे.
मैच के दौरान कमेंट्री बॉक्स में इस फैसले पर खूब चर्चा हुई और मैच के बाद भी ये एक ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है कि आखिर क्यों टेस्ट के नंबर एक गेंदबाज़ अश्विन को टीम में जगह नहीं मिली.
अश्विन ने इस मुद्दे पर पहले तो चुप्पी साधी रही लेकिन अब इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अपना दिल खोल के रख दिया.
अपना पक्ष रखते हुए अश्विन ने अख़बार को बताया कि विदेशी पिचों में उनकी बोलिंग पिछले कुछ सालों में शानदार रही है.
उन्होंने अख़बार को बताया, “2018-19 के बाद से विदेशों मे मेरी गेंदबाजी शानदार रही है और मैं टीम के लिए गेम जीतने में कामयाब रहा हूं.”
“अगर मैं इसे एक कप्तान या कोच के नज़रिए से देखूं तो शायद उनके बचाव में ये कहा जा सकता है कि आखिरी बार जब हम इंग्लैंड में थे, तब 2-2 टेस्ट ड्रा रहा था और उन्हें लगा होगा कि इंग्लैंड में 4 पेसर और 1 स्पिनर एक अच्छा कॉम्बिनेशन है. फाइनल में जाने के लिए उन्होंने यही सोचा होगा.”
अश्विन की इस दलील में दो मुख्य सवाल छुपे हुए हैं
पहला, क्या विदेशी पिचों पर शानदार प्रदर्शन के बावजूद उन्हें नज़रअंदाज़ करना चाहिए था?
और दूसरा, क्या टीम के अंतिम 11 खिलाड़ियों को उनकी दक्षता के आधार पर चुनना चाहिए या फिर कंडिंशंस को देखकर?
रविचंद्रन अश्विन ने अब तक 36 टेस्ट मैच विदेशी धरती पर खेले हैं जिनमें उन्होंने 32 की औसत से 133 विकेट लिए है.
वहीं उनके पूरे करियर के टेस्ट मैचों की बात करें तो अब तक 92 मैचों में उन्होंने 23.93 की औसत से 474 विकेट लिए हैं और अनिल कुंबले के बाद भारत की ओर सर्वाधिक टेस्ट विकेट लेने वाले खिलाड़ी हैं.
इस साल अश्विन ज़बरदस्त फॉर्म में थे और उन्होंने 4 टेस्ट मैचों में 17.28 की औसत से 25 सफलताएं हासिल की थी.
साल की शुरुआत में जब ऑस्ट्रेलिया ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए भारत का दौरा किया था तब अश्विन प्लेयर ऑफ द सीरीज थे जिसमें उन्होंने चार मैचों में 25 विकेट लिए थे.
चैंपियनशिप का फाइनल इंग्लैंड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला जा रहा था जिनके विरुद्ध उनका रिकार्ड शानदार रहा है.
उनके खिलाफ 22 मैचों में अश्विन ने 28.36 की औसत से 114 विकेट झटके हैं.
इंग्लैंड में भी उनका प्रदर्शन बुरा नहीं कहा जा सकता – यहां पर 7 मैचों में उन्होंने 28.11 की औसत से 18 विकेट लिए हैं.
अश्विन टेस्ट क्रिकेट में भारत के सबसे बड़े मैच-विनर्स में एक हैं और बड़े मैचो में वो हमेशा अच्छा करते आए हैं.
ऐसे में इस बेहतरीन स्पिनर का ना चुने जाना भारतीय टीम के लिए प्रतिकूल प्रभाव छोड़